उत्तरकाशी व टिहरी में समलौण वाटिकाओं की स्थापना के साथ पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

 

उत्तराखंड राज्य में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रही समलौण संस्था द्वारा जनपद उत्तरकाशी के पीएम श्री कमलाराम नौटियाल राजकीय आदर्श इण्टर कॉलेज धौंतरी एवं जनपद टिहरी गढ़वाल के फूल सिंह बिष्ट राजकीय स्नानातोतकर महाविद्यालय लंबगांव के परिसर में वाटिकाओं का निर्माण कर उसमें 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के औषधीय, आलंकारिक व फलदार पौधे जिसमें रूद्राक्ष, पारिजात, गुड़हल, पीपल, विल्वपत्र, शमी, अमरूद, माल्टा तुलसी, पूलम, मोरपंखी, गेंदा, आंवला बोटल ब्रश, अनार,एरोकैरिया, अर्जुन, रोजमेरी, एलोवेरा के रोपित किए गये। इस अवसर पर गंगा विश्व धरोहर के संयोजक एवं समलौण संस्था के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल के नेतृत्व में इन वाटिकाओं के सरक्षण का संकल्प भी लिया गया। उन्होंने कहा की उत्तराखण्ड के 13 जनपदों में समलौण वाटिका की स्थापना कर कालेज व स्कूली छात्र छात्राओं को जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किए जाने के उद्देश्य से समलौण अभियान को बल मिलेगा व छात्र-छात्राओं को इको संस्कृति से जोड़ा जाएगा। पीएमश्री कमलाराम नौटियाल जीएमआईसी के प्रधानाचार्य शांति प्रसाद नौटियाल ने कहा समलौण अभियान पेड़-पौधों के संरक्षण के भावनात्मक संबंध जोड़कर सराहनीय कदम है। इस अभियान में सभी छात्र छात्राओं को इस वाटिका में अपने जन्म दिवस व त्यौहारों पर पौधरोपण का अवसर मिलेगा। वहीं जनपद टिहरी के फूल सिंह बिष्ट राजकीय स्नानातोतकर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार ने संस्था के कार्यों की अत्यंत प्रसंशा करते हुए कहा कि एक साथ सैकड़ों पौधों का रोपण व सुरक्षा की जिम्मेदारी लेना जैसे पवित्र कार्य करना संपूर्ण महाविद्यालय के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि समलौण वाटिका से छात्रों को वानस्पतिक शोध व हारबेरियम बनाने में मदद मिलेगी व उनकी देखभाल करने से उनके मन में पर्यावरण संरक्षण की भावना का विकास भी होगा। समलौण संस्था के संस्थापक वीरेन्द्र दत्त गोदियाल ने समलौंण आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में समलौण संस्था के अध्यक्ष मनोज रौथाण, सचिव नरेंद्र सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष नत्थीराम नौडियाल, वरिष्ठ सदस्य मुकेश नौडियाल, कालेज के शिक्षक व छात्र एवं छात्राएं आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. भरत सिंह राणा ने किया।

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