अब उत्तरकाशी में बनेंगे भागवताचार्य, श्रीमद भागवत महापुराण विद्यापीठ का हुआ शुभारंभ

 

श्रीमद्भागवत पुराण को भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है। श्रीमद् भागवत कथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सिखाती है। उजेली उत्तरकाशी में भगवान विश्वनाथ की काशी नगरी में श्रीमद् भागवत शिक्षण का कार्य प्रारंभ हो गया है। विश्वनाथ संस्कृत स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के प्राचार्य डॉ. द्वारिका प्रसाद नौटियाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह कार्य स्वयं शुरू कर आज पूज्यपाद श्रीमद् स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज अध्यक्ष श्री दिव्य धाम आश्रम से आग्रह कर आश्रम के विशाल कक्ष में कक्षाएं संचालित करने की सहमति प्राप्त कर इस कार्य की विधिवत शुरुआत कर ली है। इस कार्य में नगर के श्रेष्ठ अन्य भागवताचार्यों को भी शिक्षण के लिए समय -समय पर आमंत्रित किया जायेगा जिससे भागवताचार्य बनने के इच्छुक युवाओं को अब वृंदावन जाने की आवश्यकता नहीं होग और न ही संसाधन के अभाव में अपने लक्ष्य को छोड़ पायेंगे। उन्होंने बताया कि नित्य सायंकाल में भागवत की कक्षाएं संचालित होगी जिसमें भागवत का मूल पारायण के साथ समाज उत्थान की प्ररेणा व अध्ययन करने वाले प्रशिक्षार्थियों को स्वस्थ व निरोगी रहने के टिप्स भी सिखायेंगे। भागवत कथा सिर्फ मनोरंजन न बनकर रह जाये बल्कि धन लालसाएं त्याग कर समाज में मंगल व आनंद की प्राप्ति कैसे हों इसके लक्ष्य पर भी ध्यान दिया जायेगा। अब जिज्ञासों को भागवत शिक्षण प्रारंभ करने के साथ नित्य अध्ययन निशुल्क रहेगा व प्रशिक्षार्थियों के लिए पुस्तक की व्यवस्था भी की जा रही है। यहां छात्रों को केवल समय देना है और नित्य पाठ तैयार करना है। इसमें सभी ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस कार्य में माधव प्रसाद नौटियाल शास्त्री, गंगेश्वर प्रसाद नौटियाल का सहयोग भी प्राप्त हो रहा।
इस अवसर पर सुभाष चन्द्र नौटियाल, संजीव नयन बहुगुणा, गंगा विश्व धरोहर मंच के संयोजक डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल, कौशल किशोर महाराज, सुभाष नौटियाल संजय नयन बहुगुणा सहित श्रीमद्भागवत महापुराण के अध्ययन करने आये प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।

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