उत्तरकाशी जिले के असीगंगा घाटी में सड़क हों या फिर पैदल आवाजाही के रास्ते हालात खराब हैं। गौरतलब है कि सुप्रसिद्ध डोडीताल झील तक जाने के लिये इसी घाटी के रास्तों से होकर निकलना पड़ता है।
इस बीच आज डोडीताल जाने के इस मार्ग के पड़ाव संगमचट्टी से लेकर सेकू गांव तक के तकरीबन पांच किलोमीटर के रास्ते के आज तक उद्धार न होने के फलस्वरूप ग्रामीणों और ग्रामीण जनप्रतिनिधियों जिनमे महिलाएं भी शामिल रही उन्हें सरकार के विभागों विशेषकर लोनिवि व वन की अनदेखी के चलते गाँव के मार्ग को बनाने के लिये खुद जिम्मा उठाना पड़ा। जबकि सेकू के ग्रामीण लंबे समय से मार्ग बनाये जाने और उसमें सुधार करने की मांग करते आ रहे हैं। बता दे कि पिछले माह लोकसभा चुनाव में मार्ग नही तो वोट नहीं का फॉर्मूला ग्रामीणों ने भी अख्तियार किया।
उक्त इलाके के पूर्व जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह रावत ने मार्ग श्रमदान स्थल से बातचीत में बताया कि जब सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों को खुद मोर्चा संभालना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार विकास के जो दावे कर रही है वह धरातल पर पता चल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी सरकार के लिये शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि ग्रामीणों को सड़क के लिये खुद मोर्चा संभालना पड़ रहा है। उन्होंने इसके लिये वन व लोनिवि को भी जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने बताया कि यदि सेकू गांव तक सड़क बनती है तो इससे पर्यटन की आमद भी बढ़ेगी। वह इसलिये की सेकू से नजदीकी दयारा बुग्याल, बकरियां टॉप,डोडीताल व इसके नजदीकी अन्य प्राकृतिक जल स्रोत व ताल जाने वाले पर्यटकों को भी ट्रेकिंग, सैरसपाटे का लाभ मिलेगा। वन विभाग को भी राजस्व अर्जित होने के साथ सेकू गांव को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने अंग्रेज विल्सन का भी जिक्र करते हुए कहा कि वर्षो पूर्व अंग्रेज विल्सन के समय संगमचट्टी से मांझी तक सड़क हुआ करती थी। तब इसी सड़क से वन संपदा को लाया जाता था। बेशकीमती लकड़ियों को तब विल्सन द्वारा गंगा के माध्यम से मैदानों तक पहुंचाया जाता था। दुर्भाग्य है कि उस जमाने मे सड़क हुआ करती थी आज विकास की बात के बावजूद सड़क के लिये लोग परेशान हैं। इस दौरान उनके साथ ग्राम प्रधान सेकू नत्थी लाल,गोपाल सिंह रावत,प्रताप सिंह,शिव सिंह,अवतार सिंह,प्यारे लाल,जयश्री रावत,पुलमा देवी,सीता देवी,भग्यान देइ समेत अन्य ग्रामीण मौजूद थे।
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