पिथौरागढ़/ उत्तराखंड बचाओं संघर्ष समिति ने अल्मोड़ा के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को रखने के लिए किए गए अभिनव प्रयोग की प्रशंसा की। समिति शीघ्र अल्मोड़ा जाकर जिलाधिकारी को सम्मानित करेगी। समिति ने इस अभिनव प्रयोग को राज्य के अन्य 12 जनपदों में लागू करने के लिए राज्य सरकार से एसओपी जारी करने की मांग की है।
समिति के राज्य संयोजक तथा निवृत्तमान जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि उत्तराखंड में खनिज न्यास से अधिकांश जिलों में मोटी धनराशि से बटिया, सीसी और खड़ंजा ही बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ जनपदों में अन्य तरह के अच्छे कार्य भी हुए होंगे, लेकिन अल्मोड़ा के जिलाधिकारी ने जो अभिनव प्रयोग किया है वह उत्तराखंड के विद्यार्थियों के भविष्य के लिए एक सुनहरा सपना लेकर आया है। उन्होंने कहा कि खनिज न्यास ट्रस्ट ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को अस्थाई रूप से रखे जाने की योजना बनाई है। इस योजना से शिक्षकों की कमी पूरी होगी और उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिक्षकों का सहारा मिलेगा। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों में विद्यालयों में शिक्षकों के नहीं होने से लगातार पलायन बढ़ रहा है। जिलाधिकारी अल्मोड़ा की यह पहल इस पलायन को भी रोकेगी।
उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा इस प्रकार की पहल करने वाला उत्तराखंड ही नहीं भारत का पहला जिला बन गया है।
इसलिए समिति ने तय किया है कि शीघ्र अल्मोड़ा जाकर जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे को सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से मिलकर इस अभिनव प्रयोग को उत्तराखंड के समस्त जनपदों में लागू किए जाने की मांग भी रखी जाएगी।
उन्होंने कहा कि अधिकांश से अधिक जनप्रतिनिधि अपने निजी लाभ के लिए उत्तराखंड में खड़ंजा संस्कृति का पीछा ही नहीं छोड़ते है। इसलिए अल्मोड़ा जनपद की आम जनता तथा नवाचार पर विश्वास करने वाले जनप्रतिनिधियों को भविष्य में जिलाधिकारी के इस अभिनव प्रयोग की रक्षा के लिए आगे आना होगा। इसके लिए एक गैर राजनीतिक मंच का गठन भी किया जाना चाहिए।