यज्ञ से किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे विश्व का कल्याण होता है। परमात्मा स्वयं यज्ञ रूप हैं। यज्ञ वेदों का हृदय, सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। रुद्र भगवान शिव के प्रसिद्ध नामों में से एक है। लघु रुद्र पूजा भगवान शिव अर्थात रुद्र की महिमा का गान करके इससे समस्त जगत के दुखों का नाश करने के साथ जगत का कल्याण होता हैं। उत्तरकाशी में अष्टादश महापुराण समिति ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में तीन दिवसीय लघु रूद्र यज्ञ व रामचरित पाठ से विश्व शांति की कामना करते हुए धराली में मृत व्यक्तियों की आत्माओं की शांति निमित्त, दैवीय आपदाओं से बचाव तथा राज्यभर में अतिवृष्टि की वजह से हुई तबाही से प्रभावित प्रदेशवासियों की रक्षा और कल्याण हेतु लघु रुद्र यज्ञ व रामचरित मानस पाठ की आज पूर्णाहुति की। रूद्र यज्ञ में विद्वान ब्राह्मण आचार्य राम गोपाल पैन्यूली, आचार्य घनानंद नौटियाल, आचार्य दशरथ प्रसाद भट्ट एवं डॉ.द्वारिका प्रसाद नौटियाल प्राचार्य श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय उत्तरकाशी के आचार्यत्व में दिव्य हरिहरात्मक यज्ञ किया गया। वेदाचार्य लवलेश दुबे, हरीश भट्ट, पंडित हरीश गौड़, पंडित रविंद्र नौटियाल, पंडित दुर्गेश खण्डूरी एवं वेद विद्यालय के ब्रह्मचारी सहित एकादश ब्राह्मणों द्वारा लघु रुद्र महायज्ञ के द्वारा भगवान काशी विश्वनाथ का अनेक बहुमूल्य द्रव्यों से जलाभिषेक किया एवं पांच ब्राह्मणों द्वारा अखंड रामचरितमानस का पाठ किया गया जिसमें समस्त अष्टादश महापुराण समिति सदस्यों अध्यक्ष हरि सिंह राणा, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, मुख्य यज्ञ यजमान अरविंद कुडि़याल, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती प्रभावती गौड़, श्रीमती किरन पंवार, हीरा चन्द्र रमोला, आनंद भट्ट, दिनेश गौड़ आदि ने सहयोग किया।