उत्तराखंड में 21 मार्च को घोषित हो विश्व हिमनद दिवस, संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय हिमनद संरक्षण वर्ष किया है घोषित

 

हिमालय बचाओं आंदोलन ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम लिखे खुले पत्र को रविवार को सार्वजनिक किया। पत्र में 21 मार्च को उत्तराखंड में विश्व हिमनद दिवस मनाए जाने के लिए राजकीय घोषणा की जाने की मांग की है। मुख्यमंत्री से संवेदनशील मामले में और अधिक संवेदनशीलता दिखाने का अनुरोध भी किया गया है। हिमालय बचाओं आंदोलन के जगत मर्तोलिया ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय हिमनद संरक्षण वर्ष घोषित किया है। दुनिया 21 मार्च को विश्व हिमनद दिवस मनाए जाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे है, यदि यह प्रक्रिया एवं उनके साथ होने वाले मानव अन्याय लगातार जारी रहा तो कुछ दशकों में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी पवित्र नदियां मौसमी नदियां बन सकती है। खुला पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन लाइफ की भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि इसमें नागरिकों से सतत जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत के हिमालय क्षेत्र में 9,527 ग्लेशियर है, जिसमें से 3,600 ग्लेशियरों का एक बड़ा भाग उत्तराखंड में है। उत्तराखंड के 19 ग्लेशियर भारत में ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड का सबसे लंबा 30 किलोमीटर की दूरी वाला गंगोत्री ग्लेशियर है। कुमाऊं मंडल में मुनस्यारी के अंतर्गत आने वाला मीलम ग्लेशियर 16 किलोमीटर लंबा है, जो कुमाऊं का सबसे लंबा ग्लेशियर है। उन्होंने बताया कि भारत में हिमालय का यह राज्य ग्लेशियर संपदा के मामले में धनी राज्यों की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का जो भयावह चेहरा दिख रहा है, इससे स्पष्ट है कि यहां ग्लेशियरों की स्थिति अच्छी नहीं है।
इस पर व्यापक अध्ययन और आंकलन की आवश्यकता है। इसके रोकथाम के लिए सरकार को नीति बनाने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने इस खुले पत्र के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री से 21 मार्च को उत्तराखंड में विश्व हिमनद दिवस मनाए जाने की राजकीय घोषणा किए जाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ग्लेशियरों के अध्ययन एवं आंकलन के लिए शीघ्र एक आयोग की स्थापना की जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर तथा पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख ग्लेशियरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना चाहिए।
उन्होंने उत्तराखंड में ग्लेशियरों के संरक्षण एवं विकास के लिए हिमालय विकास प्राधिकरण बनाए जाने का सुझाव भी दिया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इस बात को समझना चाहिए कि हिमालय, ग्लेशियर और उत्तराखंड की पूरे देश को ही नहीं दुनिया को जरूरत है।
इसलिए उत्तराखंड हिमालय के ग्लेशियरों को चर्चा एवं परिचर्चा के केंद्र में लाया जाना बेहद जरूरी है।

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