निकायों की जिम्मेदारी वर्तमान में प्रशासन के हाथों में है। इन निकायों में एक नगर पालिका परिषद बाड़ाहाट,उत्तरकाशी भी है। इस पालिका के कैंपस के अंदर तकरीबन 90 लाख की दो सिटी बसें पिछले 6 माह से बगैर चले धूल फांक रही हैं। नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को लाखों की इस सम्पति जिससे स्थानीय जनता को लाभ मिलना था लगता है कोई वास्ता नहीं वरना शो रूम से निकली गाड़ियों की इतनी बेकदरी नहीं होती। इन दो बसों से जिस जनता को लाभ मिलना था वे टकटकी लगाए हैं कि आंखिर कब बसें सड़कों पर होंगी। गंगोरी,नेताला से लेकर बड़ेथी चुंगी,मातली तक लोकल सवारियों को इससे सुविधा मिलनी थी। निवर्तमान पालिका के चेयरमैन रमेश सेमवाल ने पालिका बोर्ड के अंतिम टर्म में दो बसों की सौगात नगरवासियों और इससे जुड़े आसपास के इलाकों की जनता के वास्ते दी थी। उनके कार्यकाल को समाप्त हुए 6 माह गुजर गए मगर अब तक बसें नहीं चली। वर्तमान में पालिका प्रशासन के हाथ मे है। लेकिन प्रशासन से भी पिछले 6 माह से कोई उम्मीद नहीं जगी। सत्ता पक्ष हो या बचे-खुचे विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को तक जनता की पीड़ा नहीं है। आगामी समय मे निकाय चुनाव होने हैं जिसके दावेदार अपनी दावेदारी को लेकर भागदौड़ भी कर रहे होंगे। उन्हें भी लगता है अपनी दावेदारी समेत सीटों के आरक्षण की चिंता सता रही होगी। वे जहाँ आना चाहते हैं समस्या वहीं की है लेक़िन जिक्र सुनाई नहीं देता।
इस बीच एक लंबे समय से जनता की सुविधा के लिये आई बसों के पिछले 6 माह से धूल फांकने की वजह जब पालिका के ईओ शिव कुमार चौहान से जाननी चाही तो आज से 5 माह पूर्व जिन कागज-पत्तर के बनने, परमिट वगैरह-वगैरह की बात उन्होंने बताई थी वही अब भी बता रहे हैं। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर कहा कि जुलाई से दोनों बसें चल पड़ेंगी।
कुल मिलाकर उधर अधिकांश लोगों का यह भी तर्क था कि कहीं नई बसों का भी बगैर चले वही हाल न हो जाये जैसे पूर्व के वर्षों में रही दो बसों के अस्थि-पंजरों के ढीले हो जाने का हुआ था।