हिमालय व ग्लेशियर बचाने के लिये गंगोत्री से आगे मानवीय गतिविधियों में लगे रोक: शांति ठाकुर

 

अध्यक्ष गंगोत्री ग्लेशियर,हिमालय एवं हिमनद बचाओ अभियान दल की शांति ठाकुर(ग्लेशियर लेडी) ने हिमालय में बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि वर्षों पूर्व से केंद्र और राज्य सरकारों को हिमालय के अस्तित्व को बचाने के लिये उठाई गई मांग के बावजूद उस पर गहनता से विचार न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियर, हिमनद में ही गंगा का अस्तित्व है। गंगा को उसके उदगम में मानवीय गतिविधियों को पर्यटन के नाम पर जिस तरह से ठेस पहुंचाई जा रही है वह गंगा के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। श्रीमती ठाकुर ने कहा कि उच्च हिमालय समेत गंगा के उदगम में जरूरी हो गया है कि मानवीय गतिविधियों में रोक लगे। पर्यटन व धार्मिक पर्यटन में अंतर रखा जाय। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये निचली घाटियों में पर्यटन विकसित किया जाय। यात्रा को यात्रा के स्वरूप में रखा जाय न कि टूरिज्म की नजर में। उन्होंने बातचीत में बताया कि हिमालय में छेड़छाड़ का नतीजा बार-बार यहां आपदा को निमंत्रण देता आ रहा है। 2012 और 2013 में केदारनाथ धाम के साथ ही गंगोत्री घाटी में आई बाढ़ इसका जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हिमालय और इसके ग्लेशियरों को बचाने के लिए ठोस हिमालयी नीति बनाई जाए वरना भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि हिमालय की पीड़ा और इसके अस्तित्व को
बचाने के लिये उन्होंने एक मर्तबा फिर प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है और मांग की है कि हिमालय और ग्लेशियरों के संरक्षण को लेकर ठोस नीति बनाई जाए।

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