चार धाम यात्रा शुरू होने में महज कुछ दिन बांकी है। गंगोत्री धाम के प्रवेश द्वार उत्तरकाशी में यात्रा व्यवस्था को लेकर क्या तैयारी है इसकी बानगी रामलीला मैदान बता रही है। रामलीला मैदान गंगोत्री जाने वाले यात्रियों के लिये उत्तरकाशी में रुकने के दौरान पार्किंग का स्थल बनाया जाता रहा है। इसकी व्यवस्था नगर पालिका उत्तरकाशी देखती है। वाहनों के पार्किंग के दौरान टैक्स भी लेती है। अकसर देखा गया है कि पालिका मैदान में वाहन की इंट्री में शुल्क ले तो लेती है मगर मैदान में पार्किंग का सिस्टम बदहाल रहता है जो यात्रा शुरू होने से पूर्व ही देखा जा रहा है।
इस बीच यात्रा शुरू होने से पूर्व ही मैदान में दुकान,ठेली, खोमचे को लेकर पालिका पर सवाल उठ रहे हैं। इनमे 35 हजार रुपये में खोमचा लगाने के लिये पालिका द्वारा शुल्क भी लिया बताया जा रहा है। मैदान में ठेली व फड़ लगाने वाले भी बैठे हैं वे किस आधार और किसकी शह पर मैदान में अतिक्रमण किये हैं इसको लेकर भी खासी चर्चा चल रहीं है।
इधर मैदान में पार्किंग की अव्यवस्था, अतिक्रमण आदि को लेकर जब पालिका के अधिशासी अधिकारी शिव कुमार चौहान से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि एक व्यक्ति को 35 हजार शुल्क लेकर फड़ लगाने की इजाजत दी गई है। यह पूछे जाने पर की मैदान में ठेली-फड़ लगाने वालों की खासी तादाद का जो जमावड़ा है क्या पालिका ने उनसे भी शुल्क वसूला है जवाब में उन्होंने कहा कि मैदान में अन्य किसी को टोकन आदि नहीं दिया गया है।
अब सवाल उठता है की यह अतिक्रमण किसकी शह पर और किसकी मिलीभगत से।
उधर रामलीला मैदान जो कि यात्रा के लिए पार्किंग का अड्डा बनाया गया है उसमें तमाम अव्यवस्थाओं के लिए व्यापार मंडल ने नगर पालिका को जिम्मेदार ठहराया है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमेश चौहान ने कहा है कि जब 35 हजार में सिर्फ एक ही व्यक्ति को फड़ लगाने की इजाजत दी गई है तो अन्य व्यापारी जो वहां दुकान लगाना चाहते हैं उन्हें क्यों नहीं। उन्होंने रामलीला मैदान में बेतरतीब ठेली लगने को भी पालिका की मेहरबानी बताया। उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान की पार्किंग को नगर पालिका के बजाय कॉन्ट्रैक्ट बेस पर दिया जाना चाहिए ताकि पार्किंग की व्यवस्था दुरुस्त रह सके। व्यापार मंडल अध्यक्ष ने यह भी कहा कि पिछले वर्षों में यात्रा शुरू होने से पूर्व प्रशासन की ओर से व्यापार मंडल,होटल एसोसिएशन,वाहन एसोसिएशन,जनप्रतिनिधियों आदि को बुलाकर यात्रा को लेकर सुझाव आदि लिए जाते थे मगर यह पहला मौका है जब प्रशासन ने यात्रा को लेकर यात्रा से जुड़े अधिकारियों और विभागों को लेकर ही बैठकें की।
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