अष्ट भुजा दुर्गा माता मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में श्रीमद देवी भागवत महापुराण, श्रद्धेय महामाया शास्त्री बोले देवी की शक्ति करती है मनोकामना पूर्ण

 

उत्तरकाशी के जोंकाणी, ज्ञानसू में अष्ट भुजा दुर्गा माता मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य व दिव्य आयोजन हुआ।प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर यहाँ श्रीमद देवी भागवत महापुराण कथा भी चल रही है जिसमे भक्तों की अपार भक्ति भी नजर आ रही है। कथा में पीठासीन व्यास श्रद्धेय महामाया प्रसाद शास्त्री देवी के विभिन्न स्वरूप, शक्ति का व्याख्यान कर भक्तों को बता रहे हैं कि देवी किस-किस रूप में विद्यमान होकर मनोकामना पूर्ण करती है। उन्होंने एक बीज को लेकर देवी के रूप को अलंकृत करते हुए मुखार दिया कि बीज की कोख में जिस तरह उसकी सृष्टि में असंख्य पुष्प,फल होते है उसी तरह माँ भगवती के बीज मंत्र में भी अपार शक्ति है। लिहाजा माता भगवती जिसको जो चाहिए उसकी मनोकामना पूर्ण करती है। उन्होंने चौपाई के माध्यम से अपने प्रवचन में ये कथन भी कहे……

यत्रास्त्ति न ही मोक्षतंत्र।
यत्रास्ति मोक्षे न ही भोगतंत्र।।

श्री सुंदरी स वन तत्पराणाम।
भोगस्य,मोक्षस्य करे एस्तसेव।।

यानि जहाँ भोग है वहाँ मोक्ष नहीं और जहाँ मोक्ष है वहाँ भोग नही। मगर देवी के हाथ सब कुछ है। शास्त्री महामाया जी ने बीज मंत्र आदि का भी उल्लेख किया जिन्हें कभी महर्षि वेदव्यास ने राजा जन्मेजय, बाल सुदर्शन को भी सुनाया था।उन्होंने चेतन ऋषि जिन्हें नर्मदा में स्नान करते अजगर ने खींच लिया था लेकिन उनकी शक्ति इतनी थी कि उन पर विष का प्रभाव नही हुआ। नागलोक से पाताल लोक में पहुंचे ऋषि को वहां राजा प्रहलाद मिले। प्रहलाद ने संत के चरण स्पर्श कर अपनी आस्था रखी परिणाम स्वरूप प्रहलाद वही है जो बद्री विशाल पहुंचे। उन्होंने देवभूमि के चारो धामो की यात्रा भी की। बद्री धाम में नर नारायण की तपस्या,भगवान विष्णु की उपस्थिति, यहाँ नर नारायण की तपस्या में अप्सराओं के विघ्न डालने से लेकर उवर्शी के प्रकट होने का एक लंबा वृतांत कथा भक्तों को सुनाया। उन्होंने कहा कि देवी के सभी रूपो में शक्ति है और यही शक्ति सब की मनोकामना पूर्ण करती है।

इधर गत 8 फरवरी से प्रारंभ हुई श्रीमद देवी भागवत कथा में मडपाचार्य प. गोविंद राम भट्ट, व मुख्य पुजारी प. आशीष जोशी हैं। ज्ञानसू वार्ड 10 के निवर्तमान सभासद देवराज सिंह बिष्ट व वार्ड के समस्त जन समेत वार्ड 11 वासी व ग्रामवासी इस दिव्य व अलौकिक आयोजन के सहयोगी हैं।I

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