आम जन को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण दवा के लिये उत्तरकाशी में खुला प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र बंद हो गया है। महंगी दवा खरीदने में असमर्थ मरीजों व आम जन को इससे दिक्कत हुई है। बताया जा रहा है कि पिछले एक वर्ष से जिसके नाम जन औषधि केंद्र चल रहा था उसने इसे आगे चलाने के लिये हाथ खड़े कर दिए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से यह जानकारी मिली है।
बता दें कि उत्तरकाशी जिला अस्पताल के कैंपस के अंदर पिछले एक साल से जन औषधि केंद्र खुला तो था मगर इस केंद्र में अस्पताल के कैंपस के अंदर रहते हुए जहाँ कोई इक्का-दुक्का लोग ही दवा खरीदते नजर आते थे तो वहीं कैंपस से बाहर निजी मेडिकल स्टोरों की दुकानों में खासी भीड़ दवा लेने वालों की नजर आती थी वह सिलसिला बरकरार है। सूत्र बताते हैं कि चिकित्सकों द्वारा लिखी दवाओं में जन औषधि केंद्र की दवा के बजाय बाजार से दवा लिखे जाने के फलस्वरूप भी जन औषधि केंद्र का न चल पाना भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। इसे वे चिकित्सक भी स्वीकारते हैं जो मेडिकल प्रैक्टिस नहीं करते हैं। गौरतलब है कि कुछ लंबी बीमारी के ऐसे मरीज भी है जिन्हें नियमित दवा लेनी पड़ती हैं। ऐसे मरीजो के लिये जन औषधि केंद्र इसलिए भी उपयोगी होते हैं कि जो दवा उन्हें कम कीमत में यहाँ उपलब्ध हो जाती थी वही दवा मेडिकल स्टोर में कहीं अधिक महंगी होती है।
इधर जिला अस्पताल के कैंपस के अंदर स्थापित भारतीय जन औषधि केंद्र आंखिर बंद क्यों हुआ इस बारे में जब प्रमुख अधीक्षक जिला अस्पताल से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहाँ से जन औषधि केंद्र की प्रक्रिया होती है और यह उनके अधीन नहीं है। उधर जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.सी.एस.पंवार से जानकारी ली तो उन्होंने अपने अधीन संबंधित पटल से जानकारी मांगी की जन औषधि केंद्र बंद होने की वजह क्या है?जवाब में बताया गया कि जिस व्यक्ति के नाम जन औषधि केंद्र है उसने उसे आगे चलाने के लिये हाथ खड़े कर दिए हैं। यह भी जानकारी मिली कि जन औषधि केंद्र के लिये एक वर्ष का लाइसेंस मिलता है और उसे आगे बढ़ाने के लिये रिन्यूवल करना पड़ता है जिसे आगे बढ़ाने के लिये संबंधित पार्टी ने हाथ खड़े कर दिए।