गढ़वाली बोली में रामलीला, कुम्भकरण व मेघनाद का हुआ वध

 

उत्तरकाशी में रामलीला की 72वीं पुनरावृत्ति के साथ ही अपणी दूध बोली भाषा”{तीसरी गढ़वाली बोली~भाषा} में रामलीला की पुनरावृत्ति भी हो रही है। जिसका कि रामलीला मंच, रामलीला मैदान, उतरकाशी में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर अभूतपूर्व वार्षिक मंचन किया जा रहा है।
आज की रामलीला में जिन दृश्यों का मुख्य रूप से मंचन किया जा रहा है उनमें कुंभकरण वध, मेघनाथ के साथ युद्ध में शक्ति लगने के बाद लक्ष्मण मूर्छा दूर होने के बाद लक्ष्मण जी के द्वारा मेघनाथ को युद्ध में पराजित कर उनका वध करना आदि दृश्यों की प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव विभोर और मंत्रमुग्ध किया ।
आज के मंचन में राम दीपक भट्ट, लक्ष्मण महेंद्र पंवार, सीता का गंगा पण्डित बिजल्वाण, हनुमान का अजय मखलोगा, रावण का अजय पंवार, मेघनाथ का सागर सेमवाल, सुग्रीव का गौरव चौहान, अंगद का ईशांत पंवार, विभीषण का आदर्श रावत, जामवंत का मनोज बिष्ट, नल का गर्वित उप्पल और नील का सुदेश व्यास ने बहुत ही उच्च कोटी का उत्कृष्ट अभिनय कर दर्शकों का मन मोहा है।
इस मौके पर समिति के मुख्य संरक्षक उमेश प्रसाद बहुगुणा, संरक्षक सुभाष सोनी, प्रेम सिंह पंवार और रमेश चौहान, मुख्य उद्घोषक एवं संपादक जयेन्द्र सिंह पंवार, अध्यक्ष गजेंद्र सिंह मटूड़ा, प्रबंधक भूपेश कुड़ियाल,वरिष्ठ उपाध्यक्ष तस्दीक खान, महासचिव विजय प्रकाश भट्ट, कोषाध्यक्ष अरविंद सिंह राणा, उपाध्यक्ष रूकम चन्द रमोला, खुशहाल सिंह चौहान, इंद्रेश उप्पल, शान्ति प्रसाद भट्ट, अजय प्रकाश बड़ोला, मीडिया एवं जनसंपर्क प्रभाग अनिल सेमवाल, संगीत निर्देशक प्रताप रावत, प्रहलाद जी, अंशुमान नौटियाल, उप प्रबंधक अमरपाल रमोला, निर्देशक चंद्रमोहन सिंह पंवार, मंच निर्देशक केशर सजवाण, वित्तीय सलाहकार सुमन राणा, कमल सिंह रावत, नौवर सिंह कठैत, माधव प्रसाद नौटियाल, भण्डार नायक विकास कुमार चौधरी, विकास भट्ट, वित्त नियंत्रक पुष्पा बहुगुणा, किरन पंवार, विमला जुयाल, जलमा राणा, संतोषी ठाकुर, सावित्री मखलोगा और अनीता राणा आदि मौजूद थी।

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