उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में केवल जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक बनाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है। उन्होंने सरकार पर विश्वास घात का आरोप लगाया और कहा कि सरकार और कुछ लोगों के बीच खेला हुआ है जिसे उत्तराखंड की आम जनता के बीच ले जाया जाएगा। पंचायत संगठन ने ऐलान किया है कि 1 दिसंबर को उत्तराखंड के 12 जनपदों के विकासखंड तथा जिला मुख्यालय में मुख्यमंत्री तथा पंचायती राज मंत्री का पुतला जलाया जाएगा। 4 दिसंबर को देहरादून में तीनों पंचायतों की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
उत्तराखंड में 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत का कार्यकाल बढ़ाए जाने की मांग लगातार की जा रही थी। सरकार द्वारा ग्राम पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए है।
जिला पंचायत में प्रशासक नियुक्त किए जाने पर सरकार देरी कर रही थी। संगठन ने पहले ही शंका व्यक्त कर दी की थी।
जिला पंचायत अध्यक्षों तथा सरकार के मध्य कुछ गोपनीय वार्ता चल रही थी। आज देर सायं सरकार द्वारा 12 जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक बनाए जाने का पत्र आ जाने के बाद उत्तराखंड के पंचायत संगठन में उबाल आ गया है। संगठन के राज्य संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत के साथ-साथ जिला पंचायत सदस्यों के साथ धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस धोखे का जवाब दिया जाएगा।
हमारा संगठन ईट का जवाब पत्थर से देने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है कि जिला पंचायत के लिए अलग एक्ट है। उन्होंने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत के लिए एक एक्ट है।
उसके बावजूद भी सरकार ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक बनाया है। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत के सदस्यों को भी बैरंग कर दिया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने 12 जनपदों के 70 हजार सदस्यों में से मात्र 12 सदस्यों को लाभ देकर जो राजनीतिक अपराध किया है उसकी सजा भी जनता उन्हें देगी। उन्होंने कहा कि संगठन अपने मान सम्मान के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार है।
इसीलिए 4 दिसंबर को देहरादून कूच का आह्वान किया गया है।
उन्होंने कहा कि तीनों पंचायतों के लिए एक पंचायत एक्ट है।
इसलिए सरकार को तत्काल पूर्व में ग्राम पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत के लिए की गई प्रशासकों की व्यवस्था में बदलाव लाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को अनुच्छेद 213 का सहारा लेकर अध्यादेश लाकर प्रशासनिक समिति के माध्यम से ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत में ग्राम प्रधान, क्षेत्र प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्षों के अलावा तीनों पंचायतों सदस्यों को भी इस बढ़ोत्तरी में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2001 में उत्तराखंड की सरकार ने प्रशासनिक समिति के फार्मूले को अपनाया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपने मान सम्मान के लिए उत्तराखंड में पंचायत के सदस्य लंबी लड़ाई का मन बना चुके है।