उत्तरकाशी के प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला व नागरशैली की जानकारी शिक्षक राकेश राणा की पुस्तक The architecharal development of temples of Uttarkashi में जल्द मिलेगी

 

देवभूमि उत्तराखंड का एक सीमांत जनपद उत्तरकाशी भी है। गंगा और यमुना का मायका भी इसे कहा जाता है। इस जनपद की गंगा घाटी एवं यमुना घाट में देवी-देवताओं के असंख्य मंदिर स्थित हैं । उत्तरकाशी के प्रसिद्ध मंदिरों को ही लें तो काशी विश्वनाथ मंदिर, कंडार देवता मंदिर, गंगोत्री मंदिर, यमनोत्री मंदिर, महासू देवता मंदिर ,कर्ण महाराज मंदिर समेत तमाम अन्य प्रसिद्ध मंदिर जिनकी वास्तुकला शैली एक प्राचीन निर्माण शैली पर आधारित है और जिनका कि शास्त्रीय, पौराणिक एवं पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्व है। इन्ही मंदिरों के क्रमिक विकास एवं वास्तु कला पर राकेश सिंह राणा जो कि जिले के राजकीय इंटर कॉलेज सौरा उत्तरकाशी में अंग्रेजी विषय के अध्यापक हैं इनके द्वारा अंग्रेजी भाषा मे लिखी गयी पुस्तक “द आर्किटेक्चरल डेवलपमेंट ऑफ टेम्पल्स ऑफ उत्तरकाशी” नामक पुस्तक में उत्तरकाशी के मंदिरों के वास्तुकला के क्रमिक विकास में वास्तुकला की नागर शैली से जोड़ते हुए कोटि बनाल वास्तु शैली एवं आधुनिक वास्तु शैली का वर्णन किया गया है। इनके द्वारा पुस्तक प्रकाशन से पूर्व प्रबुद्ध एवं मंदिरों के वास्तु कला से सरोकार रखने वाले लोगों के बीच पुस्तक के अंश साझा करते हुए नवीन एवं ऐतिहासिक जानकारियां साझा की जो उत्तरकाशी के मंदिरों को पर्यटन से जोड़ने का काम करेगी। उक्त पुस्तक को लेकर साझा चर्चा में प्रबुद्धजन ऋषिराम शिक्षण संस्थान के प्रबंध निदेशक अरविंद जगूड़ी, शिक्षक शैलेन्द्र कुमार नौटियाल, डॉ शम्भू प्रसाद नौटियाल, डॉ साधना जगूड़ी, लोकेंद्रपाल सिंह परमार,अजय प्रकाश नौटियाल, गुलाब सिंह पडियार, अरविंद भट्ट, रमेश राणा, संजय जोशी, शांति प्रसाद नौटियाल , उत्तम राणा समेत आदि के अन्य उपस्थित थे।

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