उत्तरकाशी में नगर पालिका चुनाव की आहट तो शुरू हो चुकी है मगर आरक्षण न होने से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की धड़कने तेज है। अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की हसरतें पाले कई दावेदार फिलहाल आरक्षण का इंतजार कर रहें है। गौरतलब है कि नगर पालिका का कार्यकाल गत वर्ष दिसम्बर माह में खत्म होने के बाद शासन द्वारा नगर पंचायतों में प्रशासक तैनात कर दिए गए थे। हाईकोर्ट में दिए हलफनामें में सरकार ने 6 माह के अंदर चुनाव कराने की हामी भरी है। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल चार माह का होने जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव की आचार सहिता के बीच या उसके खत्म होते ही जून के अंतिम सप्ताह तक चुनाव करा लिये जायेंगे।
इस बीच उत्तरकाशी में नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव लड़ने की हसरतें पाले कई नेताओं,नेत्रियों को आरक्षण का इंतजार है। पिछली बार पालिका चेयरमैन का पद सामान्य था जिस पर रमेश सेमवाल काबिज हुए। इस बार चेयरमैन सीट को लेकर आरक्षण क्या घोषित होता है इस पर फिलहाल इंतजार है मगर चर्चाओं में जो संभावना या उम्मीद लगाई जा रही वह महिला सीट की संभावना को लेकर ज्यादा बताई जा रही है। वह इसलिये की पिछली बार सीट सामान्य थी लिहाजा इस बार महिला सीट हो सकती है। महिला सीट में भी क्या आरक्षण घोषित होगा इस पर भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। यानि अभी इंतजार है तो सीट के आरक्षण का।
उधर उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के मतदान होने से पूर्व प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस से अधिकांश लोग भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा का पहले से भरा कुनबा और उसमें अन्य दल से लोगों के शामिल हो जाने के बाद उस कुनबे में आगामी निकाय चुनाव के लिये दावेदारों की कितनी लंबी फेहरिस्त होगी,कितने होंगे दावेदार,किसे मिलेगा टिकट इस पर भी उठापटक होनी तय मानी जा रही है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो निकाय चुनाव तिथि घोषित होने पर भाजपा में गए कई कार्यकर्ताओं व संभावित दावेदारों की कांग्रेस में घर वापसी भी हो सकती है।
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