रामलीला की 73वीं व गढ़वाली बोली,भाषा में रामलीला की चौथी पुनरावृत्ति शुरू, महंत श्री राघवानंद दास जी के हाथों हुआ शुभारंभ

 

श्री आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी के द्वारा सन् 1952 से अनवरत रामलीला जारी है और इस बार 73वीं एवं चौथी गढ़वाली बोली,भाषा में रामलीला की पुनरावृत्ति हुई है।
गढ़वाली बोली व भाषा मे बीती शाम से शुरू हुई रामलीला में बतौर मुख्य अतिथि केदार मंदिर उत्तरकाशी के महंत श्री राघवानंद दास जी महाराज ने लीला का शुभारंभ कराया। मुख्य अतिथि द्वारा इस अवसर पर रामलीला समिति की “त्यों का बाना” स्मारिका का विमोचन भी किया गया। तदोपरांत शुरू हुई रामलीला में रावण तप लीला, कैलाश लीला और पृथ्वी विचार लीला की सुंदर प्रस्तुति ने दर्शको की खूब तालियां बटोरी। लीला के उक्त दृश्यों में मुख्य पात्रों में गणेश आयुष पंवार, शंकर विजय चौहान, पार्वती राजवंती चौहान, ब्रह्मा विनोद नेगी, रावण अजय पंवार, कुंभकरण संतोष नौटियाल , विभीषण अजय मखलोगा, नारद दिवस सेमवाल और पृथ्वी सुप्रिया रावत शामिल रहे।
इस मौके पर समिति के संरक्षक प्रेम सिंह पंवार, मुख्य उद्घोषक एवं संपादक जयेन्द्र सिंह पंवार, अध्यक्ष गजेंद्र सिंह मटूड़ा, प्रबंधक भूपेश कुड़ियाल, उप प्रबंधक अमरपाल रमोला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.तस्दीक खान, महासचिव विजय प्रकाश भट्ट, कोषाध्यक्ष अरविंद सिंह राणा, ब्रह्मानंद नौटियाल, उपाध्यक्ष रूकम चन्द रमोला, निर्देशक चंद्रमोहन सिंह पंवार, महेंद्र पंवार, मीडिया एवं जनसंपर्क प्रभाग अनिल सेमवाल, विकास भट्ट, केशवानंद भट्ट, शांति प्रसाद भट्ट, सुमन राणा, प्रताप सिंह रावत, केसर सिंह सजवाण, प्रहलाद सिंह, माधव प्रसाद भट्ट, इंद्रेश उप्पल, कर्तव्य मंच के शुभम पंवार, अंशुमान नौटियाल, वित्त नियंत्रक विमला जुयाल, सरिता गुसांई, अनीता राणा, किरन पंवार, सरिता नौटियाल और सावित्री मखलोगा आदि मौजूद थे।

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