देहरादून- उत्तरकाशी वाया सुवाखोली मोटर मार्ग में सफर करने वालों को अभी बायपास भवान में एक माह तक हिचकोले खाने पड़ेंगे। वैसे पिछले एक साल से वीआईपी, नेता,अफसर लगभग सभी हिचकोले खाते रहे मगर एक छटांग भर के पुल के लिये किसी की आवाज नहीं आई कि आंखिर पुल निर्माण में देरी की वजह क्या है और जनता कब तक पुल न होने की वजह से तकलीफ झेलेगी। बता दें कि अलमस पुल के न बन पाने से वाहनों का आवागमन बायपास भवान होते हुए थत्यूड़ और फिर अलमस निकल रहा है। इस बायपास से दूरी बढ़ी है। हिचकोले खा कर समय कहीं अधिक लग रहा है। इसके अलावा बायपास पूरी तरह दुर्घटना संभावित है। बाकायदा इस बायपास में वाहनों को पास देने की भी जगह नहीं है और जाम की स्थिति बनी रहती है।
इधर डबल इंजन की सरकार में एक छटांग भर के पुल के पिछले एक साल से न बन पाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। अच्छा हुआ कोई भारी-भरकम पुल नहीं बन रहा है वरना उम्मीद ही बांकी होती। जो पुल बन रहा है यहाँ वह 12 मीटर लंबा और साढ़े आठ फुट चौड़ा है। इसके दोनो ओर 80 फुट ऊंचे अमेंडमेंट यानि दीवालें लगी हैं। सूत्रों की माने तो कुछ समय पूर्व इस पुल की एक तरफ की दीवाल ध्वस्त हुई थी जिसे पुनः बनाया गया। इस पुल का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग थत्यूड़ के अधीन है। विभाग के अधिशासी अभियंता लोकेश सारस्वत से जब अलमस पुल के कब तक पूर्ण होने की जानकारी मांगी तो उन्होंने बातचीत में बताया कि एक माह में पुल से आवाजाही शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पुल के टॉप में स्लैब पड़ चुका है। उसके सेट होने में थोड़ा समय लगेगा।
उधर इस पुल के निर्माण में पिछले एक वर्ष में किसी दैवीय प्रकोप आदि को लेकर भी यहाँ एक आम चर्चा अकसर सुनी जाती रही है। इस बात को लेकर जब ईई श्री सारस्वत से जानना चाहा तो उन्होंने स्वीकार किया कि यहाँ कार्य करने में कई बार अड़चने आती रही। कभी पहाड़ी से पत्थर गिरने, कभी मजदूरों के भाग जाने या फिर काम छोड़ देने,भूत-प्रेत जैसी बातें भी सुनी गई। अलबत्ता इसे देखते हुए स्थानीय देवी-देवताओं से पुल निर्माण के लिये मन्नत मांगी गई। अधिशासी अभियंता ने तक बताया कि वे स्वयं यहाँ देवी-देवताओं की शरण मे गए और उनसे पुल के निर्माण में कोई बाधा न आये इसके लिये प्रार्थना की। देवी-देवताओं से मिले आशीर्वाद से अब पूरा भरोसा है कि एक माह में पुल आवागमन के लिये सुलभ हो जाएगा।