उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन में 28 सितंबर को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच पर विवाद पैदा हो गया है। संगठन ने दावा पेश किया कि आवास कूच के संदर्भ में संगठन की कोई भी बैठक इस बीच नहीं हुई है और तिथि तय करने से पहले सभी की सहमति ली जानी चाहिए थी।
त्रिस्तरीय संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मर्तोलिया ने गुरुवार को प्रेस नोट जारी कर बताया कि कुछ स्वार्थी तत्व पंचायत संगठन को कमजोर करने में लगे हुए है। उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को एक फर्जी बैठक दिखाकर 28 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास कूच की सूचना प्रचारित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि संगठन की कोई भी बैठक नहीं हुई है। संगठन से जुड़े ग्राम प्रधान संगठन, क्षेत्र प्रमुख संगठन, जिला पंचायत अध्यक्ष संगठन तथा जिला पंचायत सदस्य संगठन का 28 सितंबर के कूच से कोई लेना-देना नहीं है। चंद लोगो ने आंदोलन की तिथि तय की है। इसके लिए किसी भी संगठन से सहमति नहीं ली गई है। पिछली बार 24 सितंबर की तिथि सर्वमान्य ढंग से तय की गई थी उसको भी स्थगित इसी तरह से चुपचाप अलोकतांत्रिक ढंग से किया गया। उन्होंने कहा कि आंदोलन को कमजोर करने तथा इस आंदोलन को सत्ता पक्ष को समर्पित करने के लिए इस तरह के प्रयास किया जा रहे है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस संगठन का इस कूच कार्यक्रम से कहीं दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्होंने संगठन से जुड़े पंचायत के सदस्य सदस्यों का आह्वान किया है कि आगे का जो भी आंदोलन होगा, लोकतांत्रिक ढंग से बैठक आयोजित का निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय को 6 सितंबर को पत्र लिखकर परीक्षण रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए बैठक आयोजित करने का निवेदन किया गया था मगर उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि यहां मंत्री तथा मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी महिनों का इंतजार संगठनों को करना पड़ रहा है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि संगठन धैर्य और संयम के साथ आगे के आंदोलन की रणनीति बनायेगी। उन्होंने अभी कहा कि कुछ तत्व एक अनुशासित आंदोलन को तोड़ने का प्रयास कर रहे है ऐसे संगठन विरोधी तत्वों को चिन्हित का उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए तीन सदस्यीय अनुशासन समिति का गठन भी किया जाएगा।
उन्होंनें कहा कि उत्तराखंड के 12 जिलों के 70 हजार त्रिस्तरीय पंचायत के सदस्य संगठन के साथ आस्था से जुड़े हुए है।