उत्तराखंड में वर्षों से अस्कोट से आराकोट यानि सीमांत पिथौरागढ़ से सीमांत उत्तरकाशी तक की पैदल यात्रा का अभियान प्रोफेसर शेखर पाठक के नेतृत्व में चला है। इस अभियान का मकसद उत्तराखंड में पिछले 50 वर्षो में हुए बदलाव को नजदीक से जानना है। 1150 किलोमीटर की यह पैदल यात्रा अभियान 2024 उत्तरकाशी पहुंचा तो गर्मजोशी से अभियान का स्वागत हुआ। अस्कोट-आराकोट अभियान का मकसद उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, पर्यावरणीय अध्ययन के साथ-साथ पिछले 50 सालों में हुए बदलावों के अवलोकन करने के साथ ही उसका फीडबैक जमीनी स्तर से
से लेना भी है। उत्तरकाशी में अभियान के पहुंचने के उपरांत इसकी टीम द्वारा अनुभव साझा किए गए और पूर्व से लेकर अब तक के दौर में हो रहे बदलाव पर भी विचार-विमर्श किया गया।
उधर उक्त अभियान के उत्तरकाशी से लौटने के दौरान सृष्टि सामाजिक संस्थान,हिमालय अपेरी द्वारा टीम को शहद व नींबू का जल, शर्बत आदि पिलाकर रवानगी कराई गई। अभियान के नेतृत्वकर्ता प्रोफेसर शेखर पाठक के साथ यात्रा के स्तम्भ यात्रीगणों के साथ स्थानीय समन्वय दिनेश भट्ट एवं स्थानीय जनमानस, घराट श्रृंखला रिटेल ग्राम समूह नाकुरी विकास खण्ड डुण्डा उत्तरकाशी पहुंचे। यहाँ स्थानीय संसाधनों से चलित एक परम्परागत सरल विज्ञान “घराट ” को रोजगार का एक प्रमुख केंद्र देख सभी सदस्य प्रसन्न हुए,।
अभियान दल के सदस्यों ने वन विभाग के सौजन्य से तथा गढ़ बरसाली इंटर कॉलेज के स्काउट गाइड के मंगल सिंह पंवार व उनके छात्र-छात्राओं तथा प्रधानाचार्य व शिक्षकों शिक्षिकाओं द्वारा वृक्षारोपण किया गया तथा अभियान दल के सदस्यों को भोज कराकर विदा किया। इस दौरान पद्म श्री शेखर पाठक व प्रोफेसर गिरजा पाण्डेय ने विद्यार्थियों को संबोधित कर पिछले पचास वर्षों के अपने अनुभवों को साझा किया। टीम ने बताया कि आगे की यात्रा में अब एक टीम फलांचा खरक होते हुए ओर दूसरी सिल्क्यारा टनल का अध्ययन करते हुए आराकोट पहुंचेगी। टीम ने बताया कि पांगू से आराकोट की 1150 किलोमीटर की पैदल यात्रा अपने आप मे एक महत्वपूर्ण यात्रा है जो हमे सामाजिक,सांस्कृतिक,आर्थिक,व्यापारिक गतिविधियों के अध्ययन में सहयोग करती है।