उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिवस पर वृंदावन से आए भागवत मर्मज्ञ डॉ. श्यामसुंदर पाराशर महाराज ने द्वापर युग समाप्त होने और कलयुग के शुभारंभ की कथा सुनाई। कथा में बताया कि राजा परीक्षित ने शिकार के दौरान देखा कि एक पैर वाले बैल और गाय को कोई पीट रहा था। राजा परीक्षित क्रोधित हुए और उस व्यक्ति से कहा कि तुझे मृत्युदंड मिलना चाहिए। राजा का क्रोध देख कलयुग उनके चरणों में क्षमा-याचना करने लगा। राजा इस माया को समझ गए कि एक पैर वाला बैल धर्म है और गाय के रूप में धरती मां हैं। मारने वाला कलयुग है। राजा ने कलयुग को राज्य की सीमा से बाहर चले जाने का आदेश दिया। कलयुग ने कहा कि महाराज आपका शासन पूरी धरती पर है, ऐसे में मैं कहां जाऊं। आप ही कुछ उचित स्थान दें जहां मैं रह सकूं। ऋषि पुत्र ने कलयुग के गिड़गिड़ाने पर राजा परीक्षित ने उसे धरती पर रहने के लिए जुआं, मदिरा, परस्त्री गमन और हिंसा जैसी चार जगह दे दी। इस पर कलयुग ने प्रार्थना की कि ये सभी तो ऐसे स्थान हैं जहां बुरे व्यक्ति जाते हैं, कोई एक ऐसा स्थान भी दीजिए जो अच्छा माना जाता है। इस पर राजा ने उसे सोने (स्वर्ण) में रहने की अनुमति दे दी। कलयुग को मौका मिल गया और वह सूक्ष्म रूप में राजा के सिर पर स्वर्ण मुकुट में बैठ गया। राजा शिकार के लिए आगे बढे तो प्यास लगी। वे शमिक ऋषि के आश्रम में गए और जल के लिए आवाज लगाई। ऋषि शमिक ध्यान में लीन थे। सिर पर कलयुग के बैठे होने की वजह से राजा परीक्षित को लगा कि ऋषि उनका अपमान कर रहे हैं। वे क्रोधित हो गए और ऋषि शमिक के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। उसी समय नदी से स्नान कर लौट रहे ऋषि शमिक के पुत्र श्रृंगी ने जब पिता के गले में मरा सांप देखा तो राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि सात दिनों के भीतर तक्षक नाग के डसने से उसकी मौत हो जाएगी। जब राजा परीक्षित को श्राप का पता चला तो उन्हें बहुत पछतावा हुआ। उन्होंने राज्य में आए शुकदेव मुनि से इसका उपाय पूछा. इस पर मुनि शुकदेव ने राजा परीक्षित की मुक्ति के लिए सात दिन भागवत कथा सुनाई। जिसे सुन राजा परीक्षित भगवान की भक्ति में लीन हो गए. सात दिन पूरे होते ही श्रृंगी ऋषि के श्राप के अनुसार तक्षक नाग ने चुपके से आकर परीक्षित को काट लिया। पर भगवान की भक्ति में लीन राजा परीक्षित को इसका पता तक नहीं चला। भागवत कथा के प्रभाव से उन्हें मुक्ति प्राप्त हो गई।
| New Garhwali Song | Devton ki Bhumi | Kailash Semwal, Nidhi Rana | देवतौ की भूमि | कैलाश चंद्र सेमवाल व निधि राणा |