राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने अभिभाषण में राज्य में महिला शिक्षा के विस्तार पर चर्चा की। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी की बात को प्रमुखता से उभारा। पुरानी पीढ़ी की स्वर्गीय गौरा देवी से लेकर नई पीढ़ी की वंदना कटारिया का नाम लिया। उत्तराखंड आंदोलन में प्रमुख महिला चेहरा स्वर्गीय सुशीला बलूनी के साथ ही बछेंद्री पाल, राधा भट्ट जैसे प्रमुख नामों का उल्लेख किया। पहली महिला स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण की नियुक्ति पर तो राष्ट्रपति की नियुक्ति काबिलेगौर रही। उन्होंने कहा-उत्तराखंड विधानसभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। राष्ट्रपति ने विधानसभा में महिला सदस्यों की संख्या में वृद्धि की अपेक्षा भी जाहिर की।
सदन में मुख्यमंत्री द्वारा भारतीय महिला क्रिकेट टीम के विश्व विजेता बनने का जिक्र करने पर राष्ट्रपति ने भी ताली बजाकर खुशी जाहिर की। सीएम ने अपने संबोधन की शुरूआत बेटियों के विश्व विजेता बनने की बात से की। उन्होंने जैसे ही बेटियों को बधाई दी, तो पूरे सदन के साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी तालियां बजाईं।
अभिभाषण में यूसीसी की खास तौर पर चर्चा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का खास तौर पर जिक्र किया। उन्होंने समानता की मजबूत पैरवी करने वाले संविधान के अनुच्छेद-44 का उल्लेख करते हुए यूसीसी लागू किए जाने की चर्चा की। यूसीसी कानून में योगदान करने पर उन्होंने सदस्यों की सराहना भी की।